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अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥​

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥

वसुधैव कुटुम्बकम्

अयं – यह
निजः – अपना
परो – पराया
वेति – जानता है
गणना – गिनती
लघुचेतसाम् – लघुचेताओं की
उदारचरितानां – उदार चरित्र वालों का
तु – परन्तु
वसुधैव – पूरा विश्व
कुटुम्बकम् – परिवार है

  1. “अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।”

    • इस श्लोक का अर्थ है कि छोटे मस्तिष्क वाले लोग अपने और पराये को अलग-अलग समझते हैं। वे अपने और दूसरों के बीच में भेदभाव करते हैं।
  2. “उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥”

    • इस श्लोक का अर्थ है कि उदार और महान चरित्र वाले लोगों के लिए पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है। इसका अर्थ है कि उन्होंने सभी जीवों को अपना परिवार माना है और उनके साथ सहानुभूति और सम्मान रखते हैं।

इसका अर्थ है कि पूरा विश्व एक ही परिवार है। इसका प्रयोजन है लोगों को एक-दूसरे का साथ देना, समझना और सहायता करना। इस विचार के माध्यम से हम शांति, समझ और स्थिरता को प्राप्त कर सकते हैं, जो हमारे समुदाय और संप्रदायों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में ,जब हम विश्व में बढ़ती असमानता, भेदभाव, और विभाजन का सामना कर रहे हैं। यह समस्या हमें यह याद दिलाती है कि हम सभी एक ही परिवार के हिस्से हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम, सम्मान, और सहयोग के साथ रहना चाहिए। इसे प्रकाशित किया गया है कि व्यक्ति और समाज की समृद्धि केवल उन्हीं विचारों और मूल्यों से हो सकती है जो समाज में एकता और सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दार्शनिक सिद्धांत को अपने नेतृत्व में लागू किया है और भारत को एक विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने देश के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यह सिद्धांत स्थायीत किया है और विश्व को वास्तविक साथीपन और सहयोग की ओर प्रेरित किया है। इस दृष्टिकोण के माध्यम से, वह विश्व भर में शांति, समझ और सहयोग को बढ़ावा देते हुए एक सामर्थ्यवर्धक नेतृत्व प्रस्तुत करते हैं।

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